गायत्री मंत्र


ॐ भूर्भुवः स्वः, तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि, धियो यो नः प्रचोदयात्। .

सरस्वती मंत्र

नमस्ते शारदे देवी, सरस्वती मतिप्रदे

वसत्वम् मम जिव्हाग्रे, सर्वविद्याप्रदाभव। नमस्ते शारदे देवी, वीणापुस्तकधारिणी विद्यारंभम् करिष्यामि, प्रसन्ना भव सर्वदा।

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सत्यमेवेश्वरो लोके सत्यं पद्माश्रिता सदा।
सत्यमूलानि सर्वाणि सत्यान्नास्ति परं पदम्।।

भावार्थ: सत्य से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है, सत्य से ही लक्ष्मी-धन धान्य मिलता है, सत्य ही सभी सुखों का मूल है, सत्य से बढ़कर और कोई वस्तु नहीं है, जिसका आश्रय लिया जाए।

दक्षस्मृति

न स्थिरं क्षणमप्येकं उदकं तु यथोर्मिभिः । वाताहतं तथा चित्तं तस्मात्तस्य न विश्वसेत् ॥
जब हवा बहती है, तो पानी क्षण भर भी स्थिर नहीं रहता है। हमारा मन ऐसा ही है, यह प्रत्येक क्षण बदलता है, यह विश्वसनीय नहीं है।

वाल्मीकि रामायण

सुलभाः पुरुषा राजन् सततं प्रियवादिनः । अप्रियस्य तु पथ्यस्य वक्ता श्रोता च दुर्लभः ॥

1

प्रदोषे दीपकश्चंद्र: प्रभाते दीपको रवि:। त्रैलोक्ये दीपको धर्म: सुपुत्र: कुलदीपक:॥ भावार्थ: शाम को चन्द्रमा प्रकाशित करता है, दिन को सूर्य प्रकाशित करता है, तीनों लोकों को धर्म प्रकाशित करता है और सुपुत्र पूरे कुल को प्रकाशित करता है।

2

सत्यमेव परं मित्रं स्वीकृते सति मानवे । सत्यमेव परं शत्रुः धिक्कृते सति मानवे ।। भावार्थ: यदि हम सत्य को स्वीकार करते है तो सत्य हमारा सबसे श्रेष्ठ मित्र बन जाता है। लेकिन अगर हम सत्य का स्वीकार न करके धिक्कारते है, तो जीवन में आगे चलकर वही सत्य हमारे लिए परं शत्रु बन जाता है।

3

नास्ति विद्यासमं चक्षु: नास्ति सत्यसमं तप:। नास्ति रागसमं दुःखं नास्ति त्यागसमं सुखम्।। भावार्थ: विद्या के समान कोई नेत्र नहीं, सत्य के समान कोई तप नहीं, आसक्ति (राग) के समान कोई दुःख नहीं और त्याग के समान कोई सुख नहीं है।

4

वनानि दहतो वह्नेः सखा भवति मारुतः । स एव दीपनाषाय कृशे कस्यास्ति सौहृदम् ॥ भावार्थ: अग्नि के वन जलाने में पवन उसका सखा(मित्र) बन जाता है, और दीपक का वही नाश करता है, दुर्बल के प्रति स्नेह किसे है? अर्थात दुर्बलता में कौन किसका मित्र होता है?

मनुस्मृतिः

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रियाः॥
भावार्थ: जहाँ नारियों का सम्मान होता है, वहाँ देवता प्रसन्न होते हैं। जहाँ उनका सम्मान नहीं होता, वहाँ सभी क्रियाएँ निष्फल हो जाती हैं।

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राम मन्त्र


राम रमापति जय श्री राम, रघुपति राघव राजा राम पुरुषोत्तम परमेश्वर राम, श्री राम जय राम जय जय राम।राम मन्त्र

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बाला जी मन्त्र


ॐ वेंकटेश्वरा गोविंदा, श्रीमन नारायण संकटहरणा तिरुमलि तिरुपति वास मुकुन्दा, जय बालाजी नमोस्तुते। बाला जी मन्त्र

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दत्तात्रेय ध्यान मन्त्र


गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः श्री अवधूत चिंतन गुरुदेव दत्त, त्रिमुख दिगंबर सद्गुरु दत्त श्री पादवल्लभ सर्वस्व दत्त, ब्रह्मा हरी शिव योगेश दत्त दत्तात्रेय ध्यान मन्त्

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हनुमान मन्त्र


अंजनि: गर्भ संभूतो, वायुपुत्रो महाबल: गृहाणाचमनीयं च, पवित्रोदक कल्पितं। तथ्य: यह आचमन मन्त्र है।
ॐ हनुमते दुःखभंजन, अंजनिसुत केसरीनंदन रामदूत संकटमोचन, शत शत वंदन कोटि नमन हनुमान मन्त्र

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सूर्यदेव मन्त्र

ऊँ भास्कराय पुत्रं देहि महातेजसे। धीमहि तन्नः सूर्य प्रचोदयात्।। जपाकुसुम संकाशम् काश्यपेयम् महाद्युतिम् तमोरिम् सर्वपापघ्नम् प्रणतोस्मि दिवाकरम्। तथ्य: नवग्रह स्तोत्र का प्रथम मन्त्र है।

सूर्यदेव मन्त्र

सूर्य पूजा के दौरान भगवान सूर्यदेव का आवाहन इस मंत्र के द्वारा करना चाहिए- ॐ सहस्त्र शीर्षाः पुरूषः सहस्त्राक्षः सहस्त्र पाक्ष | स भूमि ग्वं सब्येत स्तपुत्वा अयतिष्ठ दर्शां गुलम् ||

सम्बन्धी

कस्यापि नास्ति सम्बन्धी समयो धरणीतले। समयमवलोक्यैव सम्बधिनो भवन्ति च ।। भावार्थ: जगत मे समय किसी का सम्बन्धी नहि होता, सब समय देख कर हि सम्बन्धी बनाते है ।

ज्ञानं यस्य समीपे

जिसके पास ज्ञान है।

स्यात् मदस्तस्मिन्न विद्यते।

वह अहंकार नहीं रख सकता।

यस्य पार्श्वे भवेत् गर्व:

उसके पास अहंकार है।

ज्ञानं तस्य कुतो भवेत्।।

उसे कहां से ज्ञान है?

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माता च कमला देवी पिता देवो जनार्दनः। बान्धवा विष्णुभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम्॥
जिस मनुष्य की माँ लक्ष्मी के समान है, पिता विष्णु के समान है और भाइ - बन्धु विष्णु के भक्त है, उसके लिए अपना घर ही तीनों लोकों के समान है ।
सन्तोषः परमो लाभः सत्सङ्गः परमा गतिः । विचारः परमं ज्ञानं शमो हि परमं सुखम् ॥

ॐ नम: शिवाय, ॐ नम: शिवाय, हर हर बोले नम: शिवाय। रामेश्वराय शिव रामेश्वराय, हर हर बोले नम: शिवाय। गंगाधराय शिव गंगाधराय, हर हर बोले नम: शिवाय। जटाधराय शिव जटाधराय, हर हर बोले नम: शिवाय। सोमेश्वराय शिव सोमेश्वराय, हर हर बोले नम: शिवाय। विश्वेश्वराय शिव विश्वेश्वराय, हर हर बोले नम: शिवाय। कोटेश्वराय शिव कोटेश्वराय, हर हर बोले नम: शिवाय। महाकालेश्वराय शिव कालेश्वराय, हर हर बोले नम: शिवाय।